Friday 25 March 2016

कुछ कहमुकरियाँ

मुझको सबसे प्रिय हमेशा
इसमे नहीं कोई अंदेशा
इसकी शक्ति को लगे न ठेस
का सखी साजन ? ना सखी देश

तन  छूये मेरे नरम नरम
कभी ठंढा और कभी गरम
गाये हरदम बासंती  धुन
का सखी साजन? ना सखी फागुन

साथ मेरे ये चलता जाए
नया नया में बहुत सताये
संग इसके जीवन सुभीता
का सखी साजन ? ना सखी जूता

कैसे कैसे बात बनाए
कोशिश करे मुझे समझाये
एक पल को भी ले ना चैन
का सखी साजन ? ना  सखी सेल्समैन

मुझे मुआ ये खूब सताये
फिर भी मेरे जी को भाए
इसके कारण भींगी चोली
का सखी साजन? ना सखी होली

कई दिवस से वह नहीं आया
सुबह सुबह में जी घबराया
सूना लगे उस बिन संसार
का सखी साजन? ना सखी अखबार

लंबा थूथन पतली काया
जब से जालिम घर में आया
भिंगा रहा दूर से सारी
का सखी साजन ? ना सखी पिचकारी
#नीरज कुमार नीर 
#neeraj_kumar_neer 
#kahmukariya #कहमुकरियाँ #falgun #pichkari #akhbar #salesman #desh #देश #hindi_poem

5 comments:

  1. मजेदार कविता

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-03-2016) को "होली तो अब होली" (चर्चा अंक - 2293) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. मस्त कविता .... होली पे ऐसे ही आनंद का मजा आता है ...

    ReplyDelete
  4. सुंदर सृजन आदरणीय

    आदरणीय कहमुक़री छंद 16 या 15 मात्रा पर सृजित किया जाता है ।
    जिसकी चारों पंक्तियों में या 15 या 16 मात्रा समान रूप से होनी चाहिये ।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...