जंगलों को काटते हुए ,
पहाड़ियों को खोदते हुए
क्या कभी महसूस किया तुमने
हवाओं में मौजूद संगीत को ।
पहाड़ियों पर से उतरती हुई हवा
क्या कहती है ?
जब पुरबइया चलती है तो
पेड़ कौन सा राग सुनाते हैं ?
पलाश के वृक्षों से गिरते हुए टेसू को
पलाश कौन सा गीत सुनाता है ?
क्या देखा है तुमने बैशाख में
जब महुआ जामुन को साँवली कहकर चिढ़ाता है
यह सब कभी अनुभव किया तुमने
नहीं न ?
तुम कर भी नहीं सकते
तुम्हारे लिए जंगल है इमारती लकड़ियाँ
पहाड़ हैं बौक्साइट और लौह अयस्क के भंडार
तुमने कभी इनमे जीवन महसूस नहीं किया ।
तुम्हारी संवेदना को दबा रखा है
तुम्हारी सभ्यता ने
जिसके मापदंड हैं
अच्छे कपड़े और बड़ी गाड़ियाँ ।
तुम देख नहीं पाते वृक्षों में बसे ईश्वर को
इन्हें देखने, महसूस करने के लिए
होना होगा निस्वार्थी, निश्छल
एक आदिवासी ...
नीरज कुमार नीर .................
(एक अच्छा सा शीर्षक आप बताइये )
#neeraj #adivasi
#neeraj_kumar_neer
पहाड़ियों को खोदते हुए
क्या कभी महसूस किया तुमने
हवाओं में मौजूद संगीत को ।
पहाड़ियों पर से उतरती हुई हवा
क्या कहती है ?
जब पुरबइया चलती है तो
पेड़ कौन सा राग सुनाते हैं ?
पलाश के वृक्षों से गिरते हुए टेसू को
पलाश कौन सा गीत सुनाता है ?
क्या देखा है तुमने बैशाख में
जब महुआ जामुन को साँवली कहकर चिढ़ाता है
यह सब कभी अनुभव किया तुमने
नहीं न ?
तुम कर भी नहीं सकते
तुम्हारे लिए जंगल है इमारती लकड़ियाँ
पहाड़ हैं बौक्साइट और लौह अयस्क के भंडार
तुमने कभी इनमे जीवन महसूस नहीं किया ।
तुम्हारी संवेदना को दबा रखा है
तुम्हारी सभ्यता ने
जिसके मापदंड हैं
अच्छे कपड़े और बड़ी गाड़ियाँ ।
तुम देख नहीं पाते वृक्षों में बसे ईश्वर को
इन्हें देखने, महसूस करने के लिए
होना होगा निस्वार्थी, निश्छल
एक आदिवासी ...
नीरज कुमार नीर .................
(एक अच्छा सा शीर्षक आप बताइये )
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