मुहब्बत में जान लेने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
औरों से खुलकर मिलना, मुझसे हिजाब में,
आशिक को तड़पाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
टपके रुखसार पे जो मोती पत्थर मोम हो जाए,
शेर को शायर बनाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
तुम आये चमन में बेरंग फूल सारे हो गए
फूलों से रंग चुराने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
बैठे रहे राह में नजरे बिछाए रात भर
नजरें चुराकर जाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
................. नीरज कुमार ‘नीर’