तुम बहो प्रिय नीर बनकर,
मेरे जीवन की सरिता में.
भाव उद्वेग प्रस्फुटित हो,
प्रबल बहाव हो कविता में.
कंटक पथ पर पुष्प बनो,
दृष्टि अनुरागी नैनो की .
स्वप्न सुहाने चिर निरंतर,
दृग उन्मीलित रैनो की.
प्रेम तत्व से जग बना, तुम
प्रेम की जागती परिभाषा.
प्रेम भरा हो , मेरे उर में
दीप्त दीप अविरल आशा.
सोमधरी अधर तुम्हारे
तुम नगर वधु सी कामिनी.
प्रिय तुम्हारे पलकों पर ही
है सोती जगती यामिनी.
सब तुम्हारे चाहने वाले
नयन बिछाए राहों में.
कपोलों पर कुंतल बिखराए
बसती हो कितनी आहों में .
.... नीरज कुमार नीर
मेरे जीवन की सरिता में.
भाव उद्वेग प्रस्फुटित हो,
प्रबल बहाव हो कविता में.
कंटक पथ पर पुष्प बनो,
दृष्टि अनुरागी नैनो की .
स्वप्न सुहाने चिर निरंतर,
दृग उन्मीलित रैनो की.
प्रेम तत्व से जग बना, तुम
प्रेम की जागती परिभाषा.
प्रेम भरा हो , मेरे उर में
दीप्त दीप अविरल आशा.
सोमधरी अधर तुम्हारे
तुम नगर वधु सी कामिनी.
प्रिय तुम्हारे पलकों पर ही
है सोती जगती यामिनी.
सब तुम्हारे चाहने वाले
नयन बिछाए राहों में.
कपोलों पर कुंतल बिखराए
बसती हो कितनी आहों में .
.... नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
चित्र गूगल से साभार ..