Friday 28 December 2012

गुलशन उदास है


गुलशन उदास है, मुस्कुराओ,
अँधेरा घना है, चले आओ.
तुमसे दूर जीवन सफ़ेद श्याम है,
इसमें कुछ रंग भरो, आओ.
आओ, कि सो सकूँ सुकून से,
फिर कोई ख्वाब देखूं, आओ.
तन्हाई अब पर्वत सी होने लगी,
इसमें कोई रास्ता निकले, आओ.
हवा गर्म है, ओठ सूखे हुए,
कोई ताजी हवा चले, आओ.
तपते सहरा में प्यास बड़ी है, 
पानी की एक बूँद बनो, चले आओ.
माना, मंजिले हमारी हैं जुदा – जुदा,
थोड़ी दुर साथ चलो, आओ.

...........नीरज कुमार ‘नीर’

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...