तडपत विरहन नैन हमारे,
वादा करके श्याम न आये.
कोई खत न आई खबरिया,
विरहा अग्नि जली वाबरिया।
छलिये को कभी सुध न आई,
कपोल निज कजरा पसराई .
आ तो जाते एक पहर में ,
डाल दीन्ही विरह भंवर में.
मैं थी कुमति मत गयी मारी
निष्ठुर से जो प्रीति लगाई.
श्याम छवि सुंदर चित्त भाए ,
कौन भूल की दियो सजाये .
उमक हुमक के चमकत जाती,
अर्द्ध निश श्याम सुधि जो पाती.
वर्षा बीती , शिशिर समाये
सब जन आये, श्याम न आये.
तडपत विरहन नैन हमारे,
वादा करके श्याम न आये.
……………………..नीरज कुमार नीर ..