Saturday 19 May 2012

“हम दीवाने बन गए”

तुम्हे चाहा इस तरह
हम दीवाने बन गए

तुम्हे मिलने की चाहत में
नदी के माने बन गए.

कोई राँझा समझता है,
कोई मजनू समझता है.

मेरे मन कि बेचैनी को 
नहीं कोई  समझता है.

हवा का एक झोंका हूँ ,
आवारा फिरता हूँ.

कोइ घर  नही मेरा
तुम्हारे दिल में रहता हूँ.

अनमोल मोती हूँ,
मेरा मोल नहीं कोई,

पर पाना जो तुम चाहो ,
बिना मोल बिकता हूँ.
.............. नीरज कुमार 'नीर'



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